शिव भजन संग्रह लिरिक्स

शिव समा रहे मुझमें, और मैं शुन्य हो रहा हूँ लिरिक्स | Shiv Sama Rahe Mujhme Lyrics

शिव समा रहे मुझमें, और मैं शुन्य हो रहा हूँ लिरिक्स | Shiv Sama Rahe Mujhme Lyrics

शिव समा रहे मुझमें, और मैं शुन्य हो रहा हूँ लिरिक्स

शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ 
शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ 
क्रोध को, लोभ को,
क्रोध को, लोभ को,
मैं भष्म कर रहा हूँ 

शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ 
ॐ नमः शिवाय,
शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ 


ब्रह्म मुरारी सुरार्चिता लिंगम,
निर्मल भाषित शोभित लिंगम,
जन्मज दुखः विनाशक लिंगम,
तत् प्रनमामि सदा शिव लिंगम 

ब्रह्म मुरारी सुरार्चिता लिंगम,
निर्मल भाषित शोभित लिंगम,
जन्मज दुखः विनाशक लिंगम,
तत् प्रनमामि सदा शिव लिंगम 

तेरी बनाई दुनिया में कोई,
तुझसा मिला नहीं,
मैं तो भटका दर बदर कोई,
किनारा मिला नहीं,
जितना पास तुझको पाया,
उतना खुद से दूर जा रहा हूँ 

शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ 
ॐ नमः शिवाय,
शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ 
ॐ नमः शिवाय 

मैंने खुदको खुद ही बंधा,
अपनी खींची लकीरों में,
मैं लिपट चुका था,
इच्छा की जंजीरों में 

अनंत की गहराइयों में,
समय से दूर हो रहा हूँ !
शिव प्राणों में उतर रहे,
और मैं मुक्त हो रहा हूँ 

उठो हंसराज उठो,
उठो वत्श उठो !!

वो सुबह की पहली किरण में,
वो कस्तूरी बन के हिरन में,
मेघों में गरजे, गूंजे गगन में,
रमता जोगी रमता मगन में 

वो ही आयु में,
वो ही वायु में,
वो ही जिस्म में,
वो ही रूह में,
वो ही छाया में,
वो ही धुप में,
वो ही हर एक रूप में,
ओ भोले. !!

क्रोध को, लोभ को,
क्रोध को, लोभ को,
मैं भष्म कर रहा हूँ !!

शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ !
ॐ नमः शिवाय,
शिव समा रहे मुझमें,
और मैं शुन्य हो रहा हूँ !


Shiv sama rahe mujhme lyrics in english

Om Namah Shivaya,
Om Namah Shivaya,
Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon
Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon
Krodh ko, lobh ko,
Krodh ko, lobh ko,
Main bhasm kar raha hoon

Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon
Om Namah Shivaya,
Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon
Om Namah Shivaya

Brahma Murari Surarchita Lingam,
Nirmal Bhashit Shobhit Lingam,
Janmaja Dukh Vinashak Lingam,
Tat Pranamami Sada Shiv Lingam!

Brahma Murari Surarchita Lingam,
Nirmal Bhashit Shobhit Lingam,
Janmaja Dukh Vinashak Lingam,
Tat Pranamami Sada Shiv Lingam

Teri banai duniya mein koi,
Tujh sa mila nahin,
Main toh bhatka dar badar koi,
Kinara mila nahin,
Jitna paas tujhko paaya,
Utna khud se door ja raha hoon

Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon!
Om Namah Shivaya,
Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon
Om Namah Shivaya!!

Maine khud ko khud hi bandha,
Apni kheechi lakeeron mein,
Main lipat chuka tha
Ichha ki zanjeeron mein

Anant ki gehraiyon mein,
Samay se door ho raha hoon!
Shiv pranon mein utar rahe,
Aur main mukt ho raha hoon

Utho Hansraj utho,
Utho vats utho!!

Wo subah ki pehli kiran mein,
Wo kasturi ban ke hiran mein,
Meghon mein garje, goonje gagan mein,
Ramta jogi ramta magan mein

Wohi aayu mein,
Wohi vaayu mein,
Wohi jism mein,
Wohi rooh mein,
Wohi chhaya mein,
Wohi dhoop mein,
Wohi har ek roop mein,
O Bhole.

Krodh ko, lobh ko,
Krodh ko, lobh ko,
Main bhasm kar raha hoon!!

Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon!
Om Namah Shivaya,
Shiv sama rahe mujh mein,
Aur main shunya ho raha hoon!
Om Namah Shivaya


FAQs (शिव समा रहे मुझमें, और मैं शुन्य हो रहा हूँ लिरिक्स ) — हिंदी में

1. "शिव समा रहे मुझमें" का अर्थ क्या है?

उत्तर:
इसका अर्थ है — साधक पूरी तरह से शिव तत्व में विलीन हो रहा है, और स्वयं की पहचान से मुक्त होकर शून्यता को अनुभव कर रहा है।


2. यह एक भजन है या कविता?

उत्तर:
यह एक भक्ति कविता है, जो शिव भजन के रूप में भी गाई जा सकती है। इसमें ध्यान, आत्मसमर्पण और शिवत्व की अनुभूति व्यक्त की गई है।


3. क्या यह शिव ध्यान से जुड़ी रचना है?

उत्तर:
हाँ, यह रचना शिव ध्यान और ध्यानस्थ अवस्था (शून्य भाव) से जुड़ी हुई है। इसमें साधक के मन का पूरा समर्पण दर्शाया गया है।


4. क्या यह किसी खास लेखक या संत द्वारा लिखी गई है?

उत्तर:
यदि लेखक अज्ञात है, तो यह लोक भक्ति शैली की कविता मानी जाती है। यदि लेखक ज्ञात हो, तो नाम ज़रूर उल्लेख करें।


5. इस कविता को कहाँ और कैसे गाया जा सकता है?

उत्तर:
आप इस कविता को शिव आराधना, ध्यान सत्र, या भजन संध्या में शांत संगीत के साथ भजन की तरह गा सकते हैं।


6. क्या इसे शंकराचार्य या किसी संत से जोड़ा जा सकता है?

उत्तर:
यह कविता आधुनिक या लोक भक्ति परंपरा से जुड़ी लगती है, लेकिन इसके भाव आदि शंकराचार्य की अद्वैत भावना से मेल खाते हैं।


7. क्या इस कविता का आध्यात्मिक महत्व है?

उत्तर:
जी हाँ, यह कविता आत्म-शुद्धि, अहंकार-विनाश और शिव में आत्म विलय की ओर प्रेरित करती है, जो अत्यंत आध्यात्मिक है।

 

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