श्री रति नाथजी भजन लिरिक्स लिखित में
आनन्द के लुटे खजाने भजन लिरिक्स
आनन्द के लुटे खजाने भाई, सतगुरु के दरबार में ।।
कोठी बंगले कारो की भाई,
कमी नहीं उनके पास में।
वो भी युं कहते हैं, हम सुखी नहीं संसार में।।
आनन्द के लुटे खजाने भाई, सतगुरु के दरबार में।।
धन में सुख और देखने वालो,
धनवानों से पूछ लो भाई।।
एक पल की फुर्सत नाही, जीवन के विचार में।।
जीवन के विचार में भाई,
जीवन के विचार में,
आनन्द के लुटे खजाने भाई,
सतगुरु के दरबार में।
भाई बंधु कुटुंब कबीला भाई,
जितना लंबा परिवार।
देखे रोज कचहरी,
आपस के तकरार में।।
आपस के तकरार में भाई,
आपस के तकरार में,
आनन्द के लुटे खजाने भाई,
सतगुरु के दरबार में।।
ना सुख घर में रहने से भाई,
ना सुख वन में जाने से।
गुरु भोला नाथ समझावे,
सुख है आत्म-विश्वास में।।
है आत्म-विश्वास में भाई,
है आत्म-विश्वास में।।
आनन्द के लुटे खजाने भाई,
सतगुरु के दरबार में।।
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