श्री रति नाथजी भजन लिरिक्स लिखित में
मालिक लेखा पूरा लेसी फर्क चले ना राई का भजन लिरिक्स
मालिक लेखा
मालिक लेखा पूरा लेसी,
फर्क चले ना राई का।
मनक जमारो युही मत खोवे,
करले काम भलाई का।
मालिक लेखा।
गर्भवास में कोल किया था,
नाम लिया भगताई का।
बाहर आके भूल गया तू,
रोक्या ना जाल ठगाई का।
मालिक लेखा।
मारे जीव दया नहीं आवे,
कर रहा काम कसाई का।
कर्ज ने देखो कैया चुकासी,
रस्ता लिया बुराई का।
मालिक लेखा।
भीतर बाहर करेगा झगड़ा,
जोर चले ना राई का।
अंत समय तेरी पोल खुलेगी,
देख मजा चपटाई का।
मालिक लेखा।
रात अँधेरी अलगा जाना,
उचा पहाड़ चढाई का।
गेला खर्ची सागे लेलो,
मारग है गरड़ाई का।
मालिक लेखा।
राम दास गुरु पूरा मिलिया,
हरी का भक्त सदाई का।
चंद्र प्रकाश यु कथ गावे,
नाम रटो रघुराई का।
मालिक लेखा।
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